चाणक्य कहते है कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास नहीं
करना चाहिए, परंतु इसके साथ ही अच्छे मित्र के संबंद में भी पूरा विश्वास
नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता
है। अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है।
चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को कभी अपने मन का भेद नहीं खोलना चाहिए।
उसे जो भी कार्य करना है, उसे अपने मन में रखे और पूरी तन्मयता के साथ समय
आने पर उसे पूरा करना चाहिए।
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