हर राह मे गुजरते हुए देखते मै रह गया ,
हर बाग मे जो फूल थे उनने क्या क्या सेह लिया ,
कांटो का भी आलम कम ना था वो भी आगे बढ गया ,
वो मंजर था ही इतना भयानक हर कोइ उससे डर गया ,
हर कोइ दर्द मे है पर जान के भी क्या करो ,
उसके बिना जीना लगे मानो खुद्खुसी करके मरो,
ये केमिकल है दोस्तो इससे कितना बचोगे ,
बचने के चक्कर मे भी जा के फिर इसी मे फसोगे,
कर रहा चित्कार कोइ बन्द करो ये अत्याचार ,
बन्द करके क्या मिलेगा बढ रहा जो अपरम्पार ,
मै देखता हु जब भविष्य की वादियो के मंजर ,
है चेहरे सभी के रुखे से जमीने है बंजर ,
क्या इसका कोइ हल होगा ,क्या गंगा का पानी फिर "जल"होगा ,
कया मिलेगा कोइ विकल्प ,जो नर्मदा का कर दे फिर काया कल्प ,
जिसके दामन से ये हमने सारी जन्नत पायी है ,,
उसी दामन मे ऎसिड से ये कैसे आग लगाइ है ,
मै सोचता हु ऐसे ही चलता रहा तो जीवन कि परिकल्प्ना का क्या होगा ,
बडी मसक्कत करने के बाद सोचा ,,,इन जेब भरु नेताओ के राज मै
वही होगा जो होगा
Sandeep Kumar Patel
Lecturer IES IPS Academy Indore
हर बाग मे जो फूल थे उनने क्या क्या सेह लिया ,
कांटो का भी आलम कम ना था वो भी आगे बढ गया ,
वो मंजर था ही इतना भयानक हर कोइ उससे डर गया ,
हर कोइ दर्द मे है पर जान के भी क्या करो ,
उसके बिना जीना लगे मानो खुद्खुसी करके मरो,
ये केमिकल है दोस्तो इससे कितना बचोगे ,
बचने के चक्कर मे भी जा के फिर इसी मे फसोगे,
कर रहा चित्कार कोइ बन्द करो ये अत्याचार ,
बन्द करके क्या मिलेगा बढ रहा जो अपरम्पार ,
मै देखता हु जब भविष्य की वादियो के मंजर ,
है चेहरे सभी के रुखे से जमीने है बंजर ,
क्या इसका कोइ हल होगा ,क्या गंगा का पानी फिर "जल"होगा ,
कया मिलेगा कोइ विकल्प ,जो नर्मदा का कर दे फिर काया कल्प ,
जिसके दामन से ये हमने सारी जन्नत पायी है ,,
उसी दामन मे ऎसिड से ये कैसे आग लगाइ है ,
मै सोचता हु ऐसे ही चलता रहा तो जीवन कि परिकल्प्ना का क्या होगा ,
बडी मसक्कत करने के बाद सोचा ,,,इन जेब भरु नेताओ के राज मै
वही होगा जो होगा
Sandeep Kumar Patel
Lecturer IES IPS Academy Indore
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