Lord Shiva

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HAR HAR MAHADEV

Thursday, September 19, 2013

हर राह मे............

हर राह मे गुजरते हुए देखते मै रह गया ,
हर बाग मे जो फूल थे उनने क्या क्या सेह लिया ,
कांटो का भी आलम कम ना था वो भी आगे बढ गया ,
वो मंजर था ही इतना भयानक हर कोइ उससे डर गया ,
हर कोइ दर्द मे है पर जान के भी क्या करो ,
उसके बिना जीना लगे मानो खुद्खुसी करके मरो,
ये केमिकल है दोस्तो इससे कितना बचोगे ,
बचने के चक्कर मे भी जा के फिर इसी मे फसोगे,
कर रहा चित्कार कोइ बन्द करो ये अत्याचार ,
बन्द करके क्या मिलेगा बढ रहा जो अपरम्पार ,
मै देखता हु जब भविष्य की वादियो के मंजर ,
है चेहरे सभी के रुखे से जमीने है बंजर ,
क्या इसका कोइ हल होगा ,क्या गंगा का पानी फिर "जल"होगा ,
कया मिलेगा कोइ विकल्प ,जो नर्मदा का कर दे फिर काया कल्प ,
जिसके दामन से ये हमने सारी जन्नत पायी है ,,
उसी दामन मे ऎसिड से ये कैसे आग लगाइ है ,
मै सोचता हु ऐसे ही चलता रहा तो जीवन कि परिकल्प्ना का क्या होगा ,
बडी मसक्कत करने के बाद सोचा ,,,इन जेब भरु नेताओ के राज मै
वही होगा जो होगा
Sandeep Kumar Patel
Lecturer IES IPS Academy Indore

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