Lord Shiva

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HAR HAR MAHADEV

Wednesday, August 28, 2013

ज्ञान और विवेक को जीवन में नियम पूर्वक लाना होगा



एक व्यक्ति एक प्रसिद्ध संत के पास गया और बोला गुरुदेव मुझे जीवन के सत्य का पूर्ण ज्ञान है | मैंने शास्त्रों का काफी ध्यान से अध्ययन किया है | फिर भी मेरा मन किसी काम में नही लगता | जब भी कोई काम करने के लिए बैठता हूँ तो मन भटकने लगता है तो मै उस काम को छोड़ देता हूँ | इस अस्थिरता का क्या कारण है ? कृपया मेरी इस समस्या का समाधान कीजिये |

संत ने उसे रात तक इंतज़ार करने के लिए कहा रात होने पर वह उसे एक झील के पास ले गया और झील के अन्दर चाँद का प्रतिविम्ब को दिखा कर बोले एक चाँद आकाश में और एक झील में, तुमारा मन इस झील की तरह है तुम्हारे पास ज्ञान तो है लेकिन तुम उसको इस्तेमाल करने की बजाये सिर्फ उसे अपने मन में लाकर बैठे हो, ठीक उसी तरह जैसे झील असली चाँद का प्रतिविम्ब लेकर बैठी है |

तुमारा ज्ञान तभी सार्थक हो सकता है जब तुम उसे व्यहार में एकाग्रता और संयम के साथ अपनाने की कोशिश करो | झील का चाँद तो मात्र एक भ्रम है तुम्हे अपने कम में मन लगाने के लिए आकाश के चन्द्रमा की तरह बनाना है, झील का चाँद तो पानी में पत्थर गिराने पर हिलाने लगता है जिस तरह तुमारा मन जरा-जरा से बात पर डोलने लगता है |

तुम्हे अपने ज्ञान और विवेक को जीवन में नियम पूर्वक लाना होगा और अपने जीवन को जितना सार्थक और लक्ष्य हासिल करने में लगाना होगा खुद को आकाश के चाँद के बराबर बनाओ शुरू में थोड़ी परेशानी आयेगी पर कुछ समय बात ही तुम्हे इसकी आदत हो जायेगी

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